महापुरुषों के विचार
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कबीर वाणी:-
दीपक सुन्दर देखि करि, जरि जरि मरे पतंग।
बढ़ी लहर जो विषय की, जरत न मारै अंग॥
अर्थात्
दीपक की सुन्दर लौ को देखकर
कीट-पतंग जल-जलकर मर जाते हैं।
यही स्थिति कामी पुरुष की है।
विषय-वासना की लौ की खूबसूरती में
उलझकर वह भी नाना प्रकार के दुःखों को
भोगता है और एक दिन वह भी वासना की
लौ में जल मरता है।
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बुद्धिमान वो है
जो औरों की गलती से सीखता है,
थोडा कम बुद्धिमान वो है
जो सिर्फ अपनी गलती से सीखता है,
मूर्ख एक ही गलती
बार-बार दोहराते रहते हैं
और उनसे कभी सीख नहीं लेते।
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अगर लाइफ में आपको कुछ बड़ा
करना है, भीड़ से अलग बनना है तो
आपको अपना कम्फर्ट जोन…
अपना सेफ जोन छोड़ना
ही पड़ेगा।
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कोई भी क्रोधित हो सकता है
यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति
से सही सीमा में सही समय पर और
सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से
क्रोधित होना सभी के बस की बात
नहीं है और यह आसान नहीं है।
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इंसान को कठिनाइयों
की आवश्यकता होती है
क्योंकि सफलता का आनंद
उठाने के लिए ये ज़रूरी हैं।
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आप हमेशा इतने छोटे बनिए कि
हर व्यक्ति आपके साथ बैठ सके,
और आप इतने बड़े बनिए कि जब
आप उठें तो कोई बैठा न रहे।
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हर कोई जीनियस है,
लेकिन अगर आप एक मछली को
उसके पेड़ पे चढ़ने की काबिलियत
के हिसाब से आंकेंगे तो वो पूरी उम्र
यही सोच कर जियेगी कि वो मूर्ख है।
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ताकत जीतने से नहीं आती,
आपके संघर्ष आपकी ताकत पैदा
करते हैं। जब आप मुसीबतों से गुजरते
हैं और हार नहीं मानते हैं, वही
आपकी असली ताकत है।
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जो लोग जिम्मेदार, सरल,
ईमानदार एवं मेहनती होते हैं,
उन्हे ईश्वर द्वारा विशेष सम्मान
मिलता है क्योंकि वे इस धरती
पर उसकी श्रेष्ठ रचना हैं।
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रॉकेट जब आसमान में जाता है तो
अपने वजन को हलका करते हुए जाता
है, आप भी बेकार की सोच को पीछे
छोड़ ऊँचाइयों को छुईये।
━━━━✧❂✧━━━━महापुरुषों के विचार:-मैं अपने बचपन के दिन नही भूल सकता,मेरे बचपन को निखारने में मेरीमाँ का विषेश योगदान है।उन्होने मुझे अच्छे-बुरे को समझने की शिक्षा दी।छात्र जीवन के दौरान जब मैं घर-घरअखबार बाँट कर वापस आता था तोमाँ के हाँथ का नाश्ता तैयार मिलता।पढाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुएमेरी माँ ने मेरे लिये छोटा सा लैम्प खरीदा था,जिससे मैं रात को 11 बजे तक पढ सकता था।━━━━✧❂✧━━━━अंधेरी रात में खुद को भूल बैठते हैं लोगयह सिविल सर्विस की तैयारी है जनाबयहां लोग खुद को खुद से खो बैठते हैं।━━━━✧❂✧━━━━कबीर वाणी:गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय॥अर्थात्:गुरु और गोविन्द दोनों खड़े हैं,समझ में नहीं आता पहले किसेनमस्कार किया जाए?पहले गुरु को ही नमस्कार करनाउचित है क्योंकि गुरु ने ही तोईश्वर का ज्ञान करवाया है।━━━━✧❂✧━━━━कबीर वाणी:धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥अर्थात:मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है,अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़ेपानी से सींचने लगे तब भी फल तोऋतु आने पर ही लगेगा…॥━━━━✧❂✧━━━━कबीर वाणी तिनका कबहुँ ना निंदिये,जो पाँवन तर होय, कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े,तो पीर घनेरी होय॥अर्थात:कबीर कहते हैं कीएक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा नकरो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है।यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख मेंआ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती हैं।━━━━✧❂✧━━━━कबीर वाणी:बुरा जो देखन मैं चला,बुरा न मिलिया कोय,जो दिल खोज़ा आपना,मुझ से बुरा न कोय॥अर्थात:जब मैं इस संसार में बुराई खोजनेचला तो मुझे कोई बुरा न मिला,जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखातो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है।━━━━✧❂✧━━━━यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥अर्थातमैं प्रकट होता हूं, मैं आता हूं, जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं, जब जब अधर्म बढता हैतब तब मैं आता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिएमै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं,धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं।━━━━✧❂✧━━━━हमें क्या करना है और कैसे करना है,इसका बेहतर निर्णय करने के लिएसबसे पहले यह जानना बहुत जरूरी हैकी हम कहाँ है और किधर बढ़ रहे है…?━━━━✧❂✧━━━━भीड़ में सभी लोग अच्छे
नहीं होते और अच्छे लोगों
की कभी भीड़ नहीं होती
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चाणक्य के अनुसार सफल वही है
जिसे इस प्रश्न का उत्तर हमेशा मालूम
रहता है कि समय कैसा चल रहा है।
समझदार व्यक्ति जानता है कि
वर्तमान समय कैसा चल रहा है।
अभी सुख के दिन हैं या दुख के।
यदि सुख के दिन हैं तो अच्छे कार्य करते
रहें और यदि दुख के दिन हैं तो अच्छे
कामों के साथ धैर्य बनाए रखना चाहिए।
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जिसके साथ बात करने से ही
खुशी दोगुनी हो जाये' और
जिसके केवल 'साथ' रहने से ही
दुख आधा रह जाये,सिर्फ़ वो ही अपना है
बाकी तो बस नाम की दुनिया है
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मंजिल दूर दिखती है,
पर पहुँचने की कोशिश करो,
मुश्किलें बहुत होती है,
पर हटाने की कोशिश करो,
हौंसला कम न होने दो,
उसे हासिल करने की कोशिश करो,
उम्मीद ख़त्म न होने दो,
हकीकत में बदलने की कोशिश करो।
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न मेहनत में कमी करूँगी,
न हालातों पर रोऊंगी..।।
मेरी मंजिल बस तू है LBSNAA
देर से ही सही पर तुझे जरूर पाऊँगी…।
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जीवन के कुछ संबंध ऐसे होते हैं..!
जो किसी पद या प्रतिष्ठा
के मोहताज नहीं होते..!
वे स्नेह और विश्वास की
बुनियाद पर टिके होते हैं..!!
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मैंने अक्सर इस ऊल-जुलूल दुनिया को
दस सिरों से सोचने और बीस हाथों से पाने की कोशिश में
अपने लिए बेहद मुश्किल बना लिया है।
शुरू-शुरू में सब यही चाहते हैं
कि सब कुछ शुरू से शुरू हो,
लेकिन अंत तक पहुँचते पहुँचते हिम्मत हार जाते हैं
हमें कोई दिलचस्पी नहीं रहती
कि वह सब कैसे समाप्त होता है
जो इतनी धूमधाम से शुरू हुआ था
हमारे चाहने पर।
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सुलझा हुआ मनुष्य वह है,
जो अपने निर्णय स्वयं करता है, और
उन "निर्णयो" के परिणाम के लिए किसी दूसरे को दोष नही देता..!!!
अर्थात् एक बार शिष्य ने गुरू से पुछा अगर किस्मत
पहेले ही लिखी जा चुकी है तो,
कोशिश कर के क्या मिलेगा
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गुरु ने कहा
क्या पता "किस्मत" में लिखा हो की,
"कोशिश" करने से ही मिलेगा!
अर्थात् सदैव "कार्य" के प्रति लगन रखिये।
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कागज अपनी किस्मत से उड़ता है
लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से
इसलिए किस्मत साथ दे या ना दे
परंतु काबिलियत हमेशा साथ देती है
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पृथ्वी पर ऐसा कोई भी व्यक्ति नही है
जिसको समस्या ना हो
और कोई भी ऐसी समस्या नही है
जिसका समाधान ना हो
मंजिल चाहे कितनी भी ऊँची क्यों ना हो
उसके रास्ते हमेशा पैरो के नीचे से ही जाते है
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आशाएं ऐसी हो
जो मंजिल तक ले जाए
मंजिल ऐसी हो जो
जीवन जीना सिखा दे
जीवन ऐसा हो जो
संबंधों की कदर करें
और संबंध ऐसे हो
जो याद करने को मजबूर कर दे ।।
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एक इंसान दो चीज़ों से बनता है
एक तो किस्मत..और दूसरा मेहनत
किस्मत सबकी होती नही और
मेहनत सबसे होता नही
━━━━✧❂✧━━━━सपना जितना बड़ा होगा उतनी बड़ी तक
कलीफें होगी
और जितनी बड़ी तकलीफें होगी उतनी बड़ी कामयाबी होगी
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सफलता के लिए सिर्फ
कल्पना ही नहीं,
सार्थक कर्म भी जरूरी है
सीढ़ियों को देखते रहना
ही पर्याप्त नहीं है,
सीढ़ियों पर चढ़ना भी जरूरी है!
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हार से मत घबराओ
क्योकि की
जो सब कुछ हार
जाता है उसके पास
जीतने के अलावा
कुछ नही बचता ।
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कमज़ोर दिल हैं वो,
जो सहारों की तलाश करते हैं,
बैसाखियाँ बना बहानों की
मदद की फरियाद करते हैं..।
टूट कर बिखर जाते हैं अकसर ठोकरों से,
जो बता खुद को मजलूम
बर्बाद किया करते हैं…।
गर जीना है शान से तो सीना तान ले,
कर मज़बूत हौंसला
काबिलियत अपनी पहचान ले।
ऊंचाइयों पर जाने वालों का
ये दुनिया इस्तकबाल करती है,
पहुँच जाए जो बुलंदियो पर
ए गुमनाम ये झुक-झुक कर
सलाम करती है..।
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अपना और पराया क्या है,
मुझे तो बस यही पता है,
जो भावनाओं को समझे वो अपना और
जो भावना से परे हो वो पराया,
जो दूर रहकर भी पास हो वो अपना और
जो पास रहकर भी दूर हो वो पराया
जरूरी नहीं कि मिठाई खिलाकर ही दूसरों का मुंह मीठा करें, आप मीठा बोलकर भी लोगों को खुशियॉं दे सकते हैं
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हर सूर्यास्त हमारे जीवन से;
एक दिन कम कर देता है;
लेकिन हर सूर्योदय;
हमें आशा भरा एक
और दिन दे देता है,
इसलिए,
सदैव बेहतर की उम्मीद करें ।
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सफ़लता की
खुशियां मनाना ठीक है,
लेकिन असफलताओं से
सबक सीखना अधिक महत्वपूर्ण है।
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